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शनिवार, 14 जनवरी 2012

साध्वी चित्रलेखाजी की आवाज़ घने बादलों में चमकती बिजली सी थी सादाबाद के उस कसबे में

ईश्वर को याद करने को लेकर भी दो तरह के विचार प्रचलित हैं. एक विचार कहता है कि उम्र बहुत थोड़ी है, ईश्वर को याद करने को समय निकालो. दूसरा विचार कहता है कि उम्र बीतते ही सदा के लिए ईश्वर के पास ही जाना है, अतः जब तक यहाँ हो तब तक तो ईश्वर की बनाई दुनिया का आनंद लो. हाथरस शहर के पास सादाबाद के गुलौवा में इन दोनों विचारों के साथ एक तीसरा विचार भी वातावरण में तैर रहा था- ईश्वर को मन में रख कर दुनिया का आनंद लो. शायद यह विचार दुनिया देखने की सबसे सार्थक राह है.

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