ईश्वर को याद करने को लेकर भी दो तरह के विचार प्रचलित हैं. एक विचार कहता है कि उम्र बहुत थोड़ी है, ईश्वर को याद करने को समय निकालो. दूसरा विचार कहता है कि उम्र बीतते ही सदा के लिए ईश्वर के पास ही जाना है, अतः जब तक यहाँ हो तब तक तो ईश्वर की बनाई दुनिया का आनंद लो. हाथरस शहर के पास सादाबाद के गुलौवा में इन दोनों विचारों के साथ एक तीसरा विचार भी वातावरण में तैर रहा था- ईश्वर को मन में रख कर दुनिया का आनंद लो. शायद यह विचार दुनिया देखने की सबसे सार्थक राह है.
क्या शानदार बात लिखी है ..बहुत ही आनंददायी..
जवाब देंहटाएंaapko bahut-bahut dhanywad.
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