राजस्थान में एक छोटा पंजाब भी है. अब इस पंजाब पर हरियाणा की जीवंत झलक भी है. दरअसल कई साल पहले पूरा पंजाब एक ही हुआ करता था.जब इसके दोनों छोरों के बीच वर्चस्व की खींच-तान हुई तो दो टुकड़े - पंजाब और हरियाणा तो हुए ही, चंडीगढ़ अलग निकल गया.इन तीनों हिस्सों की संस्कृति का पडोसी धर्म निभाते हुए हमारा श्री गंगानगर भी इनकी गंध पा गया. इनकी जैसी ही हरी-भरी धरती भी इस जिले को मिली और मिले इनके जैसे ही मेहनती किसान भी. इस तरह राजस्थान का यह भौगोलिक सिरमौर सम्पन्नता का सिरमौर भी बन गया. बाद में इसका कुछ हिस्सा हनुमान गढ़ जिले में भी गया. इस जिले के शहर-कस्बों की तरह ही इसके गाँव भी जीवंत होते हैं. इसके खेत -खलिहानों की गरिमा इन्हें हरी-भरी रौनक से भर देती है. इस जिले के किसान कृषि-कर्म के लिए एक प्रकार के सैनिक ही हैं, वे सोना उगलती फसलों के लिए प्रशासन से लड़ने-भिड़ने में भी गुरेज़ नहीं करते. सड़क के रास्ते श्री गंगानगर से बीकानेर आने के दौरान भारत की शांति पूर्ण जुझारुता के दर्शन होते हैं. एक-एक पेड़ , एक-एक झुरमुट के तले "उसने कहा था " जैसी कहानियों की स्मृति-गंध आती प्रतीत होती है. शहर की औद्योगिक हलचल भी दिलचस्प है. सड़कें चौड़ी-चौड़ी हैं और उन पर मेहनत-कश लोगों की अँगुलियों की छाप के थापे गली-गली लगे हैं.
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