मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
I am a freelancer running 'Rahi Sahyog Sansthan', an NGO working towards the employment of rural youth in India

मंगलवार, 2 अक्तूबर 2012

"डायरी-3"

   घर में काम करने वाले ये लोग कर्मचारी नहीं, सेवक हैं। इनकी सहनशक्ति बहुत जबरदस्त है। ये विश्वसनीय भी हैं, ये पिता से पुत्र की बातें और माता से पुत्री के राज भी बखूबी छिपा कर रख लेते हैं। जब ये नौकरी छोड़ कर जायेंगे, तो डर है कि घर में कहर टूटेगा। मेरा मित्र कहता है कि  यह कभी छोड़ कर नहीं जायेंगे। वह कहता है कि  यहाँ उसके दादा के रखे हुए लोगों के पोते भी उसी बफादारी से काम करते हैं। इन्हें कोई नयी बात नहीं सिखाई जाती, केवल जो जिसकी खूबी है, उसे ही पहचान कर उसे तैनाती दी जाती है।
   परसों आंटी के बड़ी मसनद लगा लेने से गर्दन में जो दर्द हुआ, उसे निकालने के लिए रसोई से चटनी पीस रही महिला को बुलाया गया।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें