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I am a freelancer running 'Rahi Sahyog Sansthan', an NGO working towards the employment of rural youth in India

बुधवार, 3 अक्तूबर 2012

"डायरी-5"

   आज आँख जल्दी खुल गई। मैंने महल के बुर्ज़ पर जाकर देखा तो बहुत अच्छा लगा। करण के पिता पीछे बगीचे में टहल रहे थे। उन्होंने हाथ उठा कर मेरा अभिवादन किया। तीन महिलाओं के पास केवल यह काम था कि  वे छोटे बुर्ज़ पर कबूतरों को दाना डालें। वे मुस्तैदी से ऐसा कर रही थीं। घर का कोई सेवक किसी भी तरह का व्यायाम नहीं कर रहा था, फिर भी सब उम्दा सेहत वाले स्वस्थ लोग हैं। करण  जागा नहीं था, किन्तु मुझे जागा देख कर बटर-मिल्क कमरे में भेजा गया। गिलास काफी बड़ा है, आश्चर्य यह कि  उसके साथ रखे मिटटी के सुन्दर बर्तन में इतना बटर -मिल्क है, कि  मैं 25 दिन तक पी सकूं।

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