कोचीन बहुत आकर्षक है.यह एक बहुत छोटे से देश की तरह लगता है.सिंगापूर या ब्रुनेई की तरह.यहूदियों की संस्कृति के अवशेष यहाँ आपको इस तरह दीखते हैं मानो वे अभी आपको अतीत में ले चलेंगे.भारत के सागर-तट आम तौर पर उतने साफ नहीं दीखते,लेकिन कोचीन अपवाद है.शायद यह भारतीयता का ही प्रताप है कि आप को कोचीन के बाजारों में त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश की स्थानीय वैश्विकता मिल जाती है.इस का श्रेय रेल मंत्रालय को दिया जाना चाहिए,जिसने देश के हर महत्वपूर्ण शहर को आपस में जोड़ दिया है.
वहां घूमते हुए आपको यह अहसास नहीं परेशान करता कि हम ज्यादा जनसँख्या वाले देश में रहते हैं.सब कुछ पुराना हो जाने पर बीत नहीं जाता.यह पंक्ति कोचीन में घूमते हुए मुझे बार-बार याद आती रही.
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