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I am a freelancer running 'Rahi Sahyog Sansthan', an NGO working towards the employment of rural youth in India

बुधवार, 3 अक्तूबर 2012

"डायरी-4"

   उनका कष्ट कोई नहीं मिटा सकता, क्योंकि यह कष्ट किसी ने दिया नहीं है। लेकिन उनके चेहरे से ऐसा लगता भी नहीं, कि  इस से उन्हें कोई कष्ट है। उनसे मिलने के बाद मैंने अपने कमरे में आने के बाद एक छोटी सी पिन अपनी नाक पर चुभोने की कोशिश की थी। मुझे काफी दर्द हुआ। मैं नहीं मान सकता कि  कोई नाक के आर-पार कील से छेद  करदे तो नाक के मालिक को दर्द नहीं होगा। लेकिन फिर उस छेद में अन्य धातुओं की चीज़ें फसा लेना, और हमेशा  इसी तरह रहना, ऊपर से गर्व से कहना कि  इस छेद में जो हीरा है, वह बहुत वजनी है, मुझे नहीं पता कि  यह सब क्या है? यह बात मैं अपने मित्र से नहीं पूछूँगा क्योंकि उसकी माताजी पूरे क्षेत्र की सबसे सम्मानित महिला हैं।

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