धीरे-धीरे मैं बिलकुल यहाँ का ही बनता जा रहा हूँ। अब करण के पैर में चोट लगी है तो हम कहीं नहीं जाते। दोपहरी बहुत लम्बी होती है। जब करण सो रहा था, तब मैं तीसरे पहर पीछे वाले बड़े छज्जे पर टहलता हुआ बाग़ की चिड़ियों को अठखेलियाँ करते हुए देख रहा था। तभी गैराज वाले खान साहब का बेटा चला आया, और मुझसे बोला- "आओ, मैं आपके सिर पर साफा बांधूंगा"। वह बहुत सुन्दर बहुरंगी साफा लाया था। मेरे हाथ में लगातार आइना लगा रहा। मेरा चेहरा कैसा दमकने लगा।
बाद में उसने मुझे कुरता और धोती भी पहनाई। एकदम बारीक कपड़े की इतनी हलकी पोशाक, मानो आपने कुछ पहन ही न रखा हो। मैं तो बार-बार पैरों पर हाथ फेर कर यही देखता रहा, कि कुछ है न? हाँ, सिर पर ज़रूर ऐसा महसूस होता रहा, जैसे सारी दुनिया की हलचल, हैंगिंग गार्डन की तरह आपके सिर पर ही सजी हो। सुनहरी नोंकदार जूतियाँ भी मुझे पहननी पड़ीं। चलो, मुझे कौन सा कहीं जाना था? थोड़ी देर के खेल के बाद लड़के ने खुद ही मेरे कपड़े उतार दिए। हाँ, पर मैं उस पोशाक में अपनी तस्वीरें खिंचवाना नहीं भूला।
बाद में उसने मुझे कुरता और धोती भी पहनाई। एकदम बारीक कपड़े की इतनी हलकी पोशाक, मानो आपने कुछ पहन ही न रखा हो। मैं तो बार-बार पैरों पर हाथ फेर कर यही देखता रहा, कि कुछ है न? हाँ, सिर पर ज़रूर ऐसा महसूस होता रहा, जैसे सारी दुनिया की हलचल, हैंगिंग गार्डन की तरह आपके सिर पर ही सजी हो। सुनहरी नोंकदार जूतियाँ भी मुझे पहननी पड़ीं। चलो, मुझे कौन सा कहीं जाना था? थोड़ी देर के खेल के बाद लड़के ने खुद ही मेरे कपड़े उतार दिए। हाँ, पर मैं उस पोशाक में अपनी तस्वीरें खिंचवाना नहीं भूला।
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