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मंगलवार, 19 जुलाई 2011

आखिर कुछ तो बात होती होगी ब्यूटी-पार्लर से निकले लोगों में



नैसर्गिक सौन्दर्य का कोई मुकाबला नहीं, ये माना पर आखिर सुन्दरता को तराशने का भी तो अपना महत्त्व है. इस बात पर अच्छा-खासा विवाद हो सकता है कि किसी राज्य का टूटना उसके हित में होता है या अहित में. लेकिन विवादों के परे ये तो हमें मानना ही पड़ेगा कि राज्यों को विकास के लिए ही छोटा बनाया जाता है. अर्थात किसी राज्य का विभाजन एक तरह से उसे विकास के लिए तराशना ही है. पंजाब को चार बार तराशा गया है. एक हिस्सा पाकिस्तान में चला गया,एक हिमाचल से वाबस्ता है, एक हरियाणा के रूप में अलग निकल गया और एक चंडीगढ़ के नाम से अब हरियाणा के साथ राजधानी रूप में केंद्र-शासित बना हुआ है. इस तरह बार-बार की  कटाई-छटाई ने पंजाब को किसी बगीचे के 'डिज़ाईनर' पेड़ की तरह बना दिया है.यह छोटा पर सम्पूर्ण प्रदेश बन गया है. 
इसके मुख्य शहरों में एक, लुधियाना की गति भी 'हवा-हवाई' है.यह काफी फ़ैल गया है. यहाँ के ऊनी- वस्त्र उद्योग का झंडा तो हर तरफ लहरा रहा है. शानदार आधुनिक दुकानों में रखा रंग-बिरंगा सामान यहाँ ऐसा लगता है मानो बर्फ की सिल्लियों की शक्ल में आइस-क्रीम सजी हो. ग्रामीण पंजाब से लुधियाना का रिश्ता अब सौतेले भाइयों से भी दूर का हो चला है. आस-पास के गाँव ऐसे लगते हैं जैसे शहर की खिडकियों से दूर देश का नज़ारा दिख रहा हो. लुधियाना के फंदों में अब दुनिया का गला है.

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