कुछ बच्चे बचपन में मिट्टी खाते हैं. कुछ लोगों को तो बड़े होने तक मिट्टी की गंध अच्छी लगती रहती है. कहा जाता है कि ऐसे लोगों में कैल्शियम की कमी होती है.किन्तु राजस्थान के सीमावर्ती शहर जैसलमेर ने इतनी मिट्टी खाई है कि आज वह मिट्टी से बना सलोना खिलौना-शहर ही बन गया है. पूरा शहर ऐसा लगता है जैसे बच्चों ने अपने हाथों से छोटे-छोटे खिलौने बना कर इसे सजाया है. जैसलमेर का किला तो धूप में चमकता कोई जादुई महल सा दीखता है.मैं जब अपनी यात्रा के दौरान जैसलमेर पहुंचा तो दोपहर हो चुकी थी. एक होटल की सबसे ऊपरी मंजिल पर जब मैं खाना खाने बैठा तो मैं वहां उस समय खाना खाने वाला अकेला व्यक्ति था. मैंने एक वेटर से पूछा-इस पूरी मंजिल पर इतनी सजावट हो रही है और यहाँ कोई नहीं है, क्या बात है? तब उसने मुझे बताया कि यहाँ कल शाम तक अमिताभ बच्चन ठहरे हुए थे, आज सुबह ही गए हैं. और तभी मुझे याद आया कि एक बार अमिताभ ने यह कहा था कि भारत में उन्हें पर्यटन स्थलों में सबसे ज्यादा जैसलमेर ही पसंद है. यह याद आते ही मेरी यात्रा एकाएक महत्वपूर्ण हो गयी. वास्तव में सामने दिखाई देता किला तिलस्मी लगने लगा. इस शहर को चारों ओर से रेत के टीलों ने इस तरह घेर रखा है कि देशी-विदेशी पर्यटक ऊंटों पर बैठ कर इस द्रश्यावली को निहारे बिना नहीं लौटते.और ऐसा करते समय उनके चेहरों पर ऐसा दर्प होता है मानो वे सोने को रौंद रहे हों.
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