एक बात अद्भुत है। विवाह के बाद लड़की की पूरी ज़िम्मेदारी उसके पति को ही उठानी पड़ती है।वह यदि एक पैसा भी न कमाए, तो भी उसका जीवन मज़े में गुजरता है। उस पर इस शंका की तलवार नहीं लटकती, कि यदि उसका पति कहीं चला गया तो उसका जीवन यापन कैसे होगा।
लेकिन करण की दादी ने आज मुझे एक ऐसी घटना सुनाई, कि मैं शाम को खाना न खा सका। मुझे यही ख्याल आता रहा कि ऐसा कोई कैसे कर सकता है?उन्होंने बताया कि जब कोई लड़का मर जाता है तो उसकी पत्नी को भी अपना जीवन समाप्त करना पड़ता है। वह अपने पति का सिर अपनी गोद में रख कर उसकी चिता पर बैठ जाती है, और सारे सगे सम्बन्धियों के देखते-देखते चिता में आग लगा दी जाती है। पति की देह तो मृत होती है पर पत्नी को जिंदा ही जलना पड़ता है। यह कैसी मनुष्यता है बाबा।
ये लोग कहते हैं कि ऐसा दो कारणों से किया जाता है। एक तो इसलिए, कि इस कारण हर औरत अपने पति को हर हालत में, और हर परिस्थिति में जीवित रखना चाहती है, और दूसरे इसलिए, कि पति के न रहने के बाद औरत की देह को दूसरे लोग खराब न कर सकें। ये सब क्या है?
लेकिन करण की दादी ने आज मुझे एक ऐसी घटना सुनाई, कि मैं शाम को खाना न खा सका। मुझे यही ख्याल आता रहा कि ऐसा कोई कैसे कर सकता है?उन्होंने बताया कि जब कोई लड़का मर जाता है तो उसकी पत्नी को भी अपना जीवन समाप्त करना पड़ता है। वह अपने पति का सिर अपनी गोद में रख कर उसकी चिता पर बैठ जाती है, और सारे सगे सम्बन्धियों के देखते-देखते चिता में आग लगा दी जाती है। पति की देह तो मृत होती है पर पत्नी को जिंदा ही जलना पड़ता है। यह कैसी मनुष्यता है बाबा।
ये लोग कहते हैं कि ऐसा दो कारणों से किया जाता है। एक तो इसलिए, कि इस कारण हर औरत अपने पति को हर हालत में, और हर परिस्थिति में जीवित रखना चाहती है, और दूसरे इसलिए, कि पति के न रहने के बाद औरत की देह को दूसरे लोग खराब न कर सकें। ये सब क्या है?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें