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I am a freelancer running 'Rahi Sahyog Sansthan', an NGO working towards the employment of rural youth in India

बुधवार, 31 अगस्त 2011

अगर कोई किसी शहर पर चाट मसाला छिड़क दे तो वो शहर जबलपुर हो जायेगा

शुरू में आपको लगेगा कि जबलपुर रूखे या क्रुद्ध लोगों का नगर है,लेकिन जल्दी ही आप यह जान जायेंगे कि यह खरे और बेबाक लोगों का ठिकाना है.नर्मदा नदी यहाँ दोहरे तेवर लेकर बहती है.एक तरफ ग्वारीघाट पर नदी का पाट चौड़ाई में गंगा से होड़ करता दीखता है तो भेड़ाघाट पर संगमरमरी चट्टानों ने इसे पतली नहर की चौड़ाई में बाँध दिया है.यहाँ जकड़न के कारण नर्मदा ने जो रौद्र रूप दिखाया है,उसके कारण यहाँ विश्व प्रसिद्द जल प्रपात बन गया है.
जबलपुर को न जाने क्यों,ऐसी छवि मिल गई है कि जिसके रंग तेज़ी से बदलते रहते हैं.

मंगलवार, 30 अगस्त 2011

बात जबलपुर की

यह कानपुर का पर्यायवाची,लखनऊ का विलोम,रायपुर का प्रतिस्पर्धी और भोपाल का ईर्ष्यालु मित्र है.इसे लोग संस्कार-धानी भी कहते हैं,और संस्कार-दानी भी.दानी दो प्रकार की होती है-एक साबुनदानी जिसमे साबुन आता है दूसरी मच्छर दानी जिसमे मच्छर घुस न सके.

सोमवार, 29 अगस्त 2011

कटनी से कटते हैं सागर और जबलपुर के रास्ते

जिस शहर का नाम जबलपुर है,उसके बारे में चार लाइनों में नहीं कहूँगा.वह शहर रामायण का 'परशुराम' है.धनुष तोड़ते देखेगा तो राम को भी नहीं बख्शेगा.हाँ,केवट-शबरी की प्यास देखेगा तो नर्मदा सागर लेकर खड़ा हो जायेगा. इसी पर बात करगे,अगली मोहलत पर.

रविवार, 14 अगस्त 2011

यह दिव्य गाथा "खजुराहो की अतिरुपा" नामक उपन्यास की समीक्षा लिखने के दौरान पता चली

खजुराहो केवल अपने मूर्ति-शिल्प सज्जित मंदिरों के कारण विख्यात है.आसपास की बस्तियां यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए विभिन्न सेवा-प्रदाताओं की उपस्थिति के कारण बस गई हैं.पांच सितारा होटलों से लेकर ढेरों दुकानों और मकानों का यह सिलसिला इसे एक कस्बे की शक्ल में ले आया है.यहाँ आपको हर उम्र के ढेरों गाइड तो मिलेंगे, पर यदि आप पैसे बचाने के लिए किसी किशोर-वय गाइड को ले जाएँ, तो आपको अधिकांश पर्यटन-स्थल अपने आप देखना पड़ेगा, क्योंकि आपका गाइड कई बार शरमा कर मुंह फेर लेगा. 
कहते हैं कि किसी समय इस क्षेत्र के एक राजा को संतान नहीं थी.वह अपने उत्तराधिकारी के लिए चिंतित रहता था.उसने एक तांत्रिक के कहने पर राज्य के उत्तराधिकारी के लिए एक यज्ञ करवाया.इस यग्य के लिए नगर के सभी युवक-युवतियों को बुलाया गया पर राजा के लिए इसे देखना सर्वथा-निषिद्ध था.राजा ने राज्य के तमाम शिल्पियों,मूर्तिकारों और कलाकारों को निमंत्रित किया और उनसे कहा,कि वे यज्ञ देखें. जब यज्ञ सम्पन्न हो गया और राज्य को उत्तराधिकारी मिल गया,तब राजा ने सभी शिल्पियों से कहा कि वे मूर्तियों में यज्ञ को जीवंत करें.
शिल्पियों का कार्य देखकर राजा पहले तो क्रोधित हुआ,पर बाद में उनकी कला के आगे नतमस्तक होकर राजा ने मूर्तियों को मंदिरों में जड़वा दिया.तभी से ये पवित्र स्मृतियों के रूप में चिर-स्थापित हैं.

मंगलवार, 9 अगस्त 2011

खजुराहो जो एक गाँव या शहर नहीं एक अहसास है

मैं वहां जाना नहीं चाहता था, क्योंकि वह एक पत्थरों का देश ही तो है?फिर भी मैं गया और चार दिन रहा. बताता हूँ, बताता हूँ

रविवार, 7 अगस्त 2011

नाम को छोड़कर हर कहीं दिखाई दी प्रगतिशीलता और आधुनिकता पुणे में

पहली बार पुणे जाने से पहले हम उसे 'पूना' के नाम से ही जानते थे. बीच - बीच में पुणे, ठाणे, कोलकाता और मुंबई के नामों के परिवर्तनों को लेकर हुए आन्दोलनों के बारे में भी सुनते रहे. आश्चर्य की बात यह है कि भारत में और भी बहुत से शहरों को कुछ का कुछ कहा जाता है, किन्तु जिन शहरों ने अपने पुराने नाम फिर पाने में दिलचस्पी दिखाई है वे सभी बड़े, आधुनिक और प्रगतिशील नगर हैं. ज़ाहिर है कि यह नाम हमारे देश में अंग्रेजी के और अंग्रेजों के कारण बदल गए थे.
पुणे वास्तव में एक आधुनिक मानसिकता का महानगर है. जब हम पुणे से मुंबई की ओर जाते हैं तो ऐसा लगता है कि अब हम आधुनिकता की पराकाष्ठा को पार करके उत्तर - आधुनिकता में कदम रख रहे हैं. इसी रास्ते को भारत का पहला रेलमार्ग होने का गौरव भी प्राप्त है. यही प्राकृतिक और मनुष्य-निर्मित हरियाली और रास्ते का सबसे जीवंत उदाहरण है. 
मैं डेक्कन जिमखाना क्षेत्र में प्रभात रोड पर काफी समय रहा. यह क्षेत्र हमारी सांस्कृतिक सम्पन्नता का भी द्योतक है. इस शहर की बोली में आपको मराठी की मिठास सहज ही दिखाई देती है.बाज़ारों के नाम सप्ताह के विभिन्न दिन लगने वाली हाटों की याद अब भी ताज़ा करते हैं. 
एक निहायत ही निजी अनुभव आपको बताऊँ, मुझे यहाँ हमेशा ऐसा लगता था कि उम्र की अवधारणा शायद पुणे में बेअसर है. यहाँ आपको बहुत उम्रदराज़ युवा और कमउम्र परिपक्व लोग खूब मिलेंगे. इस बात पर व्यापक अध्ययन करके इसे अन्य शहरों के लिए भी ले जाया जाना चाहिए. 
रजनीश आश्रम ने इसे विदेशों तक लोकप्रियता दी है.