राजस्थान में जब गुर्जरों का आरक्षण के लिए आक्रामक आन्दोलन चला,तो मीणा बहुल क्षेत्रों में मीणा समुदाय के लोग भी इसके प्रति मानसिक लामबंदी की तैयारी करने लगे. क्योंकि गुर्जरों द्वारा आरक्षण मांगने में उनकी थाली के घी की ओर ही अंगुली उठाई जा रही थी.नतीजा यह हुआ कि दूरदर्शी सचिन पायलेट ने अपनी ज़मीन का भू-डोल समयपूर्व ही भांप लिया,और वे अजमेर से सांसद बने.पायलेट केंद्र में मंत्री बने तो अजमेर की पिछले कुछ समय से अवरुद्ध पाइप-लाइनें भी खुलीं. आज अजमेर फिर कई बातों को लेकर सुर्ख़ियों में है.
वैसे अजमेर शहर कभी पर्यटन,पानी और पढ़ाई को लेकर राजस्थान का सिरमौर रहा है. सुप्रसिद्ध ख्वाजा की दरगाह बड़ी संख्या में जियारत करने वालों को यहाँ खींचती रही है.अजमेर सुन्दर भी है, साफ भी. पर्यटन की द्रष्टि से यहाँ आनासागर, फाईसागर, ढाई-दिन का झोंपड़ा और जैन मंदिर जैसे अनेकों दर्शनीय स्थान हैं जो शहर के महत्त्व को बढाते हैं. इसे किसी समय प्रांत की शैक्षणिक नगरी का दर्ज़ा भी प्राप्त था. प्रसिद्द 'पुष्कर तीर्थ' भी अजमेर के निकट है. यहाँ ब्रह्मा-मंदिर विशेष आकर्षण है. पुष्कर की अवस्थिति कभी प्राकृतिक जल-संग्रहण से ही निर्मित हुई थी किन्तु अब यहाँ जल-संसाधन के विशेष प्रयास और प्रयोग किये गए हैं. अजमेर संभाग मुख्यालय है जो नागौर, भीलवाडा और टोंक जिलों के समावेश से प्रशासनिक इकाई बनाया गया है. स्कूली-शिक्षा का माध्यमिक शिक्षा बोर्ड इसके महत्त्व को बढाता है.
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