मुझे थोड़ी देर के लिए अकेला छोड़ दीजिये। मैं ताज के सामने हूँ। अभी मैं गुनगुना रहा हूँ। मैं उन हज़ारों हाथों को सहला रहा हूँ, जो इस इमारत को बना कर इतिहास में दर्ज हो गए। मुझे उस उम्मीद को सलाम करने दीजिये जिसने मुमताजमहल को दुनिया की निगाहों से कभी ओझल न होने देने का ख्वाब तराशा। मैं उस उद्दाम प्रेमी शहंशाह के लिए सर झुकाता हूँ।
दुनिया का हर प्यार करने वाला अपने अहसासों के चरम क्षणों में इन्हीं गुम्बदों और मीनारों में पनाह पायेगा।इस मुबारक महल के तहखानों तक जाते अँधेरे हर युवा के ज़ेहन के उजाले बनेंगे।
अब बस करता हूँ, मैं अभी छोटा हूँ न, आप सोचेंगे कि मैं सुनी-सुनाई कह रहा हूँ।
इस खूबसूरत अचम्भे के गिर्द यमुना बह रही है। लोगों के पास आँखें दो ही होती हैं। वे ठहर जाती हैं, शफ्फाक संगमरमर के गुंजलक पर। उपेक्षा की इसी अग्नि में दहकता यमुना जल दिनों दिन काला हो रहा है। शायद इसी का लाभ उठाते हुक्मरान इस सदानीरा सतत-प्लाविता की अनदेखी कर रहे हैं।
मैं करण से कहता हूँ, कि अब चलें, कुछ दिन तक कहीं कुछ न देखें।
दुनिया भर के नफरत-गढ़ इस एक प्रीत महल के आगे नत-मस्तक हैं।
दुनिया का हर प्यार करने वाला अपने अहसासों के चरम क्षणों में इन्हीं गुम्बदों और मीनारों में पनाह पायेगा।इस मुबारक महल के तहखानों तक जाते अँधेरे हर युवा के ज़ेहन के उजाले बनेंगे।
अब बस करता हूँ, मैं अभी छोटा हूँ न, आप सोचेंगे कि मैं सुनी-सुनाई कह रहा हूँ।
इस खूबसूरत अचम्भे के गिर्द यमुना बह रही है। लोगों के पास आँखें दो ही होती हैं। वे ठहर जाती हैं, शफ्फाक संगमरमर के गुंजलक पर। उपेक्षा की इसी अग्नि में दहकता यमुना जल दिनों दिन काला हो रहा है। शायद इसी का लाभ उठाते हुक्मरान इस सदानीरा सतत-प्लाविता की अनदेखी कर रहे हैं।
मैं करण से कहता हूँ, कि अब चलें, कुछ दिन तक कहीं कुछ न देखें।
दुनिया भर के नफरत-गढ़ इस एक प्रीत महल के आगे नत-मस्तक हैं।
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