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मंगलवार, 19 अप्रैल 2011

पारस पत्थर का छुआ एक शहर

राजस्थान का सिरोही जिला वैसे तो एक किनारे का छोटा सा जिला है, पर इसके पास एक पारस पत्थर है।इस पत्थर की रगड़ खा-खा कर यह मशहूर भी हो गया है और कीमती भी। यह पारस पत्थर है- राज्य का एक मात्र किन्तु बेहद उम्दा हिल-स्टेशन माउंट आबू। ज़ाहिर है कि हिल स्टेशन है तो ठंडा तो होगा ही, लेकिन केवल ठंडा नहीं, यह बहुत खूबसूरत शहर है।इसके बीचों-बीच बनी नक्की झील नैनीताल के नज़ारे ताज़ा कर देती है। आबू में ही बेमिसाल नक्काशी की मिसाल देलवाडा मंदिर हैं। ये मंदिर यहाँ आने वालों को हैरत और सुकून का नायब अहसास भेंट करते हैं। सिरोही जिले में जब आप आबू रोड स्टेशन के नजदीक से आबू पर्वत की चढ़ाई शुरू करते हैं, तभी से आपको इस पवित्र पावन और मनोरम शहर की भव्यता भी परिचय मिलने लग जाता है। रास्ते में घना जंगल पड़ता है जिसमे किसी भी जानवर के कहीं भी मिल जाने की उत्सुकता बरक़रार रहती है। संयोग ऐसा रहा कि मैं जब इस स्थान पर था लगातार हलकी-हलकी बारिश भी होती रही।विख्यात प्रजा पिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय भी यहीं अवस्थित है। लगता है , कि संन्यास लेने के लिए पहाड़ों में चले जाने का जो मुहावरा बना है, वह आबू पर्वत जैसी ही जगह को देख कर बना होगा। कहने को सिरोही शहर छोटा ही है, किन्तु पिछले दिनों यह और भी कारणों से चर्चा में आया। सर्किट हाउस में ही मुझे यह भी जानकारी मिली कि सामने जो सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल है , वह भी अपने शैक्षणिक प्रयोगों और अनुप्रयोगों को लेकर राज्य में महत्त्व पूर्ण स्थान रखता है। शिक्षा की द्रष्टि से पिछड़े इस प्रदेश में ऐसी बातों की अनदेखी नहीं की जा सकती।

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