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सोमवार, 26 नवंबर 2012

"डायरी-18"

आज मैं जो लिखूंगा वह किसी को अच्छा नहीं लगेगा। फिर भी मैं लिखूंगा, क्योंकि मैंने पिछले दिनों में कई लोगों से इस बारे में बात की है।
विवाह के बाद यहाँ लम्बे समय तक जो साथ चलता है, उसके सभी कारण ख़ुशी के नहीं हैं। इस समायोजन में बड़ी भूमिका लड़कियों की ही है। लड़कियों को इस "सुनहरे रिश्ते"की भारी कीमत चुकानी पड़ती है। उन्हें बचपन से ही यह सिखाया जाता है कि  वे पति और  ससुराल में सबको खुश रखने के लिए ही पैदा हुई हैं। खुद उनके माता-पिता भी बचपन से ही लड़कियों को कठिन प्रशिक्षण देना शुरू कर देते हैं, ताकि वे पराये घर में जाकर उनका नाम खराब न करें। घर के सभी काम उन्हें सिखाये जाते हैं, जबकि लड़के घर में इन कामों की ओर  देखना भी पसंद नहीं करते। विवाह के समय लड़कियों को सिखाया जाता है कि  अब कुछ भी हो, उन्हें उस घर से मर कर ही निकलना है। यदि विवाह से पहले किसी लड़के और लड़की के बीच शरीर सम्बन्ध हो जाये, तो यह माना जाता है कि  लड़की खराब हो गई, और लड़के का कुछ नहीं बिगड़ा।

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