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रविवार, 8 मई 2011

मिट्टी के घरोंदे ही नहीं शहर भी बनते हैं, बीकानेर से

पाकिस्तान की सीमा से लगे शहरों में शुमार है रसगुल्लों का शहर भी. यह भी एक आश्चर्य ही है कि  विश्व भर में खाई जाने वाली यहाँ की भुजिया इस रेगिस्तानी शहर में जन्म लेकर भी किरकिरी नहीं, कुरकुरी होती है. राजस्थान का पापड -पोल  भी यही है.कड़कना तो जैसे इस शहर का स्वभाव ही है.जाड़े में यह रहवासियों को कंपकपा  भी देता है. जब आप बीकानेर शहर के नजदीक आने लगते हैं तो आपको दर्शन होते हैं प्रसिद्द करणी माता मंदिर के. इस मंदिर को कुछ लोग भगवान गणेश का गैरेज भी कहते हैं.चौंकिए  मत,इस मंदिर के अहाते में आपको लाखों की तादाद में चूहे दिखाई देते है. और चूहे गणेश का वाहन हैं,  तो यह गणेश का गैरेज हुआ कि नहीं? बीकानेर शहर ऐतिहासिक तो है ही, यह सुन्दर भी है. यह काफी खुला-खुला दीखता है. अब बाज़ारों की चहल-पहल कम नहीं रही है, फिर भी इसमें पारंपरिक शहरों की झलक बरकरार है. यह शहर काफी विनम्र है. अब यदि आप इसका कोई सबूत मांगें तो  आप खुद ही देख सकते हैं कि यदि आप इसके चारों ओर घूमें तो आपको सैंकड़ों की संख्या में ऐसे गाँव मिलेंगे जिनके नाम में 'सर' आता है.आप खुद ही बताइये, जो नगर अपने गाँवों को सर कह कर बोलता हो, वह विनम्र हुआ कि नहीं?बाकी सारे राज्य में तो बेचारे गाँव शहरों को सर-सर कह कर पुकारते हैं. बीकानेर हमेशा से ही मुझे एक ज़िम्मेदार शहर लगता है. यहाँ के लोग जो कहते हैं उस पर कायम भी रहते हैं. आप को एक निष्ठां इन लोगों में ज़रूर मिलेगी.        

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