यदि मुझसे कोई पूछे कि राजस्थान में ऐसी कौन सी जगह है जहाँ आप शांति से अपने खुद के साथ रहते हुए कुछ दिन बिताना चाहेंगे, तो मेरा जवाब होगा पाली जिले के रणकपुर में. न जाने क्यों , यह पूरा क्षेत्र ऐसा लगता है जैसे हम उस काल में पहुँच गए हों जब समाज और देश में सचमुच धर्म और आध्यात्म का बोलबाला था. जब कलाकार ईश्वर को बनाया करते थे,संगीतकार ईश्वर को गाया करते थे, और व्यापारी ईश्वर को हाज़िर-नाजिर जान कर व्यापार किया करते थे. राजा तब ईश्वर से केवल वोट दिलवाने का रिश्ता ही नहीं रखते थे, बल्कि उसमे आस्था भी रखते थे.
पाली जिला वैसे तो जोधपुर के निकट बाद में बना जिला है, पर यह मेवाड़ और मारवाड़ के बीच प्राकृतिक विभाजन भी है. यदि आप उदयपुर से चारभुजा-देसुरी होते हुए पाली जिले में प्रवेश करें तो आपको अपरिमित प्राकृतिक सौन्दर्य के भी दर्शन होते हैं. इसी हरे-भरे माहौल के बीच अनेकों मंदिर-मठ जगह-जगह आपका ध्यान खींचते हैं.
पाली में व्यापारी और पैसा बहुत है. इसी के चलते लोगों में एक सहिष्णुता और संतृप्ति के दर्शन होते हैं. यहाँ के लोग बोली से शांत और स्वकेंद्रित लगते हैं. समीपवर्ती जोधपुर शहर का तेज़ी से हुआ विकास यहाँ भी लहराता है. स्थान-स्थान पर अच्छे होटल और विश्रामगृह भी आपको मिलेंगे क्योंकि जयपुर से अहमदाबाद की ओर जाने वाला यातायात यहाँ से काफी गुज़रता है.
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