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I am a freelancer running 'Rahi Sahyog Sansthan', an NGO working towards the employment of rural youth in India

मंगलवार, 17 मई 2011

विश्वसनीय लगते हैं सीकर के युवा

बड़े शहरों में रहने वाले लोग तरह-तरह की सुविधाओं और अनुभवों के कारण धीरे-धीरे अतिचतुर हो जाते हैं, जिस से उनकी विश्वसनीयता दाव पर लग जाती है.इसी तरह ग्रामीण-क्षेत्रों में रहने वाले लोग अल्प-शिक्षित और भोले-भाले रह जाने के कारण उनकी क्षमता पर पूरा विश्वास नहीं हो पाता. इन दोनों स्थितियों के बीच की जो उचित-तम स्थिति है, वह आप सीकर के युवाओं में देख सकते हैं. 
दिल्ली-जयपुर जैसे शहरों के लोगों की बातचीत और 'बोडी -लैंग्वेज' में आपको एक बनावटीपन दिखेगा.शेखावाटी की तरफ के लोग हरियाणवी माहौल की भांति आपको बहुत ही बेबाक और कहीं-कहीं अक्खड़ तरीके से बोलते दिखेंगे. इन दोनों के बीच का जो संभ्रांत- संतुलन है वह आपको सीकर के युवाओं में मिलेगा. इन कारणों से सीकर के लोग विश्वसनीय भी लगते हैं और आकर्षक भी. वैसे सीकर शहर में कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं दिखाई देता. न तो यह् पर्यटन -व्यापार-कृषि की दृष्टि से कुछ विशेष है, और न ही प्राकृतिक सौन्दर्य में. यहाँ के राजस्थानियों का कई दूसरी जगहों पर जाकर व्यापार करना या पैसा कमाना ज़रूर शहर की तकदीर लिखता रहा है. यहाँ आपको असंख्य बड़ी-बड़ी ऐसी हवेलियाँ मिलेंगी जिनके निर्माण का ही नहीं, रख-रखाव तक का खर्चा बाहर से आ रहा है. अनेक दानवीरों के चलते कई शिक्षण-संस्थाएं भी यहाँ पनपी हैं. सुप्रसिद्ध खाटू-धाम और सालासर भी इसी जिले में हैं. राजमार्गों पर तेज़ी से पनपते होटल-रिसोर्ट और अन्य केन्द्रों ने सीकर से जयपुर की दूरी को और कम कर दिया है.    

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